मसाज पार्लर में चुदाई हॉट स्टोरी hindi sex story





कुछ मसाज पार्लर्स में ऐसे छुपे हुए कमरे होते है जिसमे बहुत से छुपे हुए काम होते है. खुबसूरत लड़कियों की तो बात ही क्या! ऐसा एक मसाज पार्लर मेरी शॉप के पास में था, पर वो स्वर्ग पास होके भी अब तक मुझसे दूर था. एक जबरदस्त parlor sex story पढ़िए..

मेरा कपड़े का एक छोटे से एरिया में शो रूम है. मेरे शो रूम में केवल लेडीज गारमेंट्स ही मिलते है. इसलिए पूरे दिन हर उम्र कि लडकीयों ; युवतियों और महिलाओं का आना-जाना लगा रहता है. लगातार देखे रहने के कारण मेरी नजरें थोड़ी ऐसी हो गई है कि कोई भी खुबसूरत चेहरा नजर आया ; मैं नजर बचाकर उसके पूरे अंग का नाप निकालने लग जाता. किसके होंठ रसीले हैं किसके गाल ज्यादा चिकने हैं. किसकी टांगें सेक्सी है. किसका सीना सबसे ज्यादा बड़ा है. बस हर किसी को देखते ही मेरा दिमाग इसी में लग जाता. दो सेल्स बोयज भी रखे हुए हैं.


मेरी दुकान के बगल में एक मसाज पार्लर है और उसके बाद आखिर में एक लेडीज टेलर है .बस इसके बाद रास्ता बंद हो जाता है. मसाज पार्लर कि मालकिन है वीणा. वीणा गज़ब की खुबसूरत है. उसकी उम्र करीब सताईस साल है. पूरा शरीर गठा हुआ. एकदम गोरा रंग. चेहरा ऐसा कि देखते ही कोई भी फिसल जाए. उसके स्तन जबरदस्त उभरे हुए. उस पर वो हरदम बहुत ही नीचे तक खुले हुए गले वाले टी शर्ट्स पहनती है. उसके स्तनों के बीच की रेखा देखते ही हमेशा मैं पागल सा हो जाता हूँ. वो अधिकतर घुटने कट कि लम्बाई वाली जींस या कभी कभी तो शोर्ट्स भी पहनकर आती है. उसकी टांगें जैसे रस में डुबोई हुई लगती है. वो ज्यफातर मेरे यहीं से कपडे खरीदती है. मुझसे हरदम मुस्कुराकर बात करती है. मैं अक्सर उसे छुप छुपकर देखता रहता हूँ. लेकिन वीणा बहुत ही कड़क अनुशासन वाली है. उसके यहाँ तीन लडकीयाँ और भी काम करती है. लेकिन वीणा उन्हें किसी से भी खुलकर बात नहीं करने देती है. ये तीनों लडकीयाँ भी खुबसूरत है. चारु सबसे सीनियर है. वीणा की वो विश्वासपात्र है. फिर एक है नेहा और एक है किरण. ये सभी भी वीणा से मिलते जुलते कपडे पहनकर आती है. सभी के सीने ज्यादातर बहुत ज्यादा खुले हुए रहते हैं. मसाज पार्लर में ग्राहक ऐसे खुले सीने देखकर ही तो आते हैं.


एक दिन वीणा मेरे यहाँ कुछ स्लीवलेस टी शर्ट देख रही थी. मैं उसके उभरे हुए सीने पर नजरें गडाए हुए था, तभी वीणा ने मुझे उसके सीने की तरफ झांकते हुए देख लिया. उसने इक तीखी नजर मुझ पर डाली और फिर एकदम से मुस्कुरा पड़ी. मैं भी मुस्कराया. रात को वीणा जब अपने पार्लर को बंदकर घर के लिए निकल रही थी तो उसने मुझे बाहर बुलाया और बोली ” इस तरह से देखना बहुत अच्छा लगता है तुम्हे!” मैं कुछ ना बोल केवल मुस्कुरा दिया. वीणा बोली ” तुम जब भी इस तरह मुझे देखते हो तो ना जाने क्यूँ मेरा सीना धड़कने लग जाता है. मुझे लगने लगता है जैसे ये और भी उभरकर टी शर्ट को फाड़कर बाहर आना चाहते हैं. तुम ऐसे ही देख सकते हो. मुझे बहुत अच्छा लगेगा. तुम्हें कोई मना नहीं है. बाय होटी.” वीणा चली गई लेकिन मेरे दिल की धड़कने बहुत ही बढ़ा गई.


अगले दिन जब वीणा आई तो मैं उसे देख मुस्कुराया. वीणा ने भी मुस्कुराकर जवाब दिया और अपने सर को कुछ ऐसे झुकाया कि उसका सीना भी उसके साथ झुक गया और मुझे जो देखना था वो मुझे साफ़ साफ़ दिख गया. अब जब भी वीणा मिलाती मुझे वो किसी ना किसी तरीके से अपने उभरे हुए सीने को दिखला देती. एक दिन वीणा थोडा जल्दी आ गई. उस वक्त तक उसकी कोई भी लडकी नहीं आई हुई थी. वीणा ने मेरे एक लड़के से पार्लर का शटर खुलवाया. इसके बाद वीणा मेरी दुकान में आई और उसने दो टी शर्ट लिए और अपने पार्लर में ट्राई करने चली गई. वो उन में से एक टी शर्ट पहनकर बाहर आई और मुझे इशारे से बाहर बुलाया. मैं बाहर गया तो उसने अपने पार्लर में आने का इशारा किया. मैं पार्लर में चला गया. वो बोली ” यह तो अच्छा नहीं लग रहा है. मैं दुसरा वाला पहनकर देख्लाती हूँ. तुम मुझे बताना कि कैसा लगता है.” वीणा अन्दर बने एक केबिन में गई. वो दूसरे टी शर्ट को पहनकर आई.
ये टी शर्ट काफी खुले गले वाला तो था ही उसमे गले के नीचे बटन भी लगे थे. वीणा ने दोनों बटन भी खुले रखे और बाहर आ गई. वीणा के दोनों गुलाबी गुलाबी बूब्स ब्रा में से साफ़ साफ़ दिख रहे थे. बटन के खुले होने से काले रंग की ब्रा भी दिख रही थी. मैं वीणा की इस तरह से खुली हुई छाती देखकर मदहोश हो गया. वीणा ने एक शरारत भरी मुस्कान मुझ पर डाली और कहा ” अब तो खुश. ” ना जाने मुझमे कैसे शैतानी आ गई. मैं बोला ” खुश हूँ लेकिन पूरी तरह से खुश नहीं हूँ.” वीणा मेरे करीब आ गई. उसने बहुत ही ठंडी और मदहोश कर देने वाली आवाज में कहा ” तो तुम बहुत खुश होना चाहते हो. मुझे तुम्हारा मुस्कुराता हुआ चेहरा बहुत ही अच्छा लगता है. तुम जब भी हँसते हो ना होटी; तो मेरा सीना बहुत जोर से धडकने लग जाता है. रुको मैं तुम्हे आज बहुत खुश कर देना चाहती हूँ.” तरन ने उस टी शर्ट को खोल दिया. अब वो सिर्फ काली ब्रा में थी. उसका उभरा हौर छोड़ा सीना मेरे सामने था. उसके सीने से बहुत ही जोर की खुशबू आ रही थी. वीणा ने मेरी तरफ देखा. मैंने कहा ” हाँ; हनी. अब मैं खुश हूँ.” वीणा ने अपना टी शर्ट पहना और मैं बाहर आ गया.

मैं उस रात सो नहीं पाया. वीणा कि काली ब्रा और उसमे में से झांकते उसके दोनों बड़े बड़े स्तन मेरी आँखों के सामने घूमते रहे. अगले दिन जब सवेरे वीणा आई तो मैंने मौका देख उसे कहा ” मैं सारी रात जागता रहा. तुम्हरा कल का नजारा मेरी आँखों से नहीं हटा. मैं पागल हो गया हूँ.” वीणा हंस दी और आगे बढ़ गई. रात को वीणा कि तीनो लडकीयाँ जब चली गई तो वीणा ने मुझे ठहरने का इशारा किया. मैंने अपनी दुकान बंद की और उसकी दुकान के थोडा दूर जाकर खड़ा हो गया. वीणा ने मुझे देखा और आने का इशारा किया. मैं वीणा के पार्लर में चला गया. वीणा ने पार्लर का दरवाजा बंद किया और मुड़कर मेरी तरफ देखा. वीणा ने पाना टी शर्ट खोल दिया. उसने आज गहरे लाल रंग की ब्रा पहन रखी थी. वीणा आगे आई और मेरे एकदम करीब आकर खड़ी हो गई. आज उसके उभारों ने मेरे सीने को पहली बार स्पर्श किया. मुझे उसके दोनों स्तनों का गुदगुदा दबाव बहुत अच्छा लग रहा था. मैंने वीणा को अपनी बाहों में भर लिया. वीणा ने भी अपने दोनों हाथों से मुझे कसकर पकड़ लिया. अब वीणा का मुंह मेरे बहुत ही करीब था. उसकी साँसें मुझसे टकरा रही थी. वीणा के गुलाबी होंठ मुझे अचानक रसगुल्ले जैसे लगने लगे. मैंने अपने होंठ वीणा की तरफ बढ़ा दिए. वीणा मुस्कुराई और फिर धेरे से उसने अपने रसीले होंठ मेरे होंठों से छुआ दिए. मैंने उसके नाजुक और मुलायम होंठों को अब अपने होंठों को खोलकर उन्हें अपने दोनों होंठों के बीच ले लिया और बहुत ही धीरे से उनमे भरे हुए रस को चूस लिया. वीणा कसमसा गई. अब उसने भी अपने होंठों से मेरे होंठों को चूसा. हम दोनों एक दूजे को रह रहकर अपनी तरफ दबाते और फिर होंठों को चूस लेते. हम दोनों करीब दस मिनट के बाद वीणा के पार्लर से बाहर आ गए. हम दोनों के चेहरों पर मुस्कराहट थी.




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